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श्रावणी उपाकर्म करने से शारीरिक मानसिक पाप नष्ट होते हैं- श्री राम नारायण द्विवेदी
वाराणसी 3 अगस्त । श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को अस्सी स्थित रामेश्वर मठ में श्रावणी उपाकर्म व ऋषि पूजा का आयोजन किया गया । काशी धर्मपीठ रामेश्वर मठ के न्यासी व काशी विद्वत परिषद के महामंत्री पण्डित राम नारायण द्विवेदी के सानिध्य में ब्राह्मणों ने श्रावणी उपाकर्म किया । इस अवसर पर राम नारायण द्विवेदी जी ने कहा कि ब्राह्मणों को श्रावणी उपकर्म अवश्य करना चाहिए। श्रावणीउपकर्म करने से शारीरिक एवं मानसिक पापों का जहां नाश होता है वही मन बुद्धि शुद्ध होता है ब्राह्मणों को यह कर्म इसलिए भी जरूरी है कि वह वेदों और उपनिषदों के पारायण करने के साथ-साथ पूजन अर्चन कराते हैं। उनके लिए बहुत ही आवश्यक है ।
मठ के उत्तराधिकारी शिस्य स्वामी लखन स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि श्रावणी उपाकर्म द्विजों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन सप्तर्षि पूजन में प्रयोग आनेवाले पंचगव्यादि का प्राशन आत्मशुद्धि का सर्वोत्तम उपाय है। इसी दिन द्विजजाति अपने सम्पूर्ण वर्ष भर किए अपकृत्यों से उत्पन्न अवशेष अघ (पाप) का अघमर्षण करते हैं। चातुर्वर्ण्य व्यवस्था में श्रावणी मुख्य रूप से ब्राह्मणों, दशहरा क्षत्रियों, दीपावली वैश्यों और होली शूद्रों के उत्सव मनाने का त्योहार होता था। श्रावणी उपाकर्म के ही दिन आचार्य अपने गुरुकुल में वेदाध्यायी शिष्य को आश्रमप्रवेश कराने की अनुमति देते हैं। कार्यक्रम का संयोजन लखन स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। वेदाचार्य सर्वे श्रवण तिवारी ने पूजन संपन्न कराया आए हुए अतिथियों का स्वागत रामेश्वर मठ के प्रबंधक वरुणेश चंद्र क्षेत्र ने किया। इस अवसर पर गंगाधर मिश्र, प्रेमचंद दीक्षित, अखिलेश कुमार, हरी प्रसाद शुक्ल, जागृति फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्र, संतोष कुमार मिश्र सहित वैदिक विद्वान उपस्थित थे ।
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