लखनऊ ब्यूरो
उत्तर प्रदेश के वस्त्र उद्योग को संरक्षण दे सरकार- अजय कुमार लल्लू
उत्तर प्रदेश कंाग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय कुमार लल्लू ने कहा कि बुनकरों द्वारा 2006 से चली आ रही बिजली के बिल की फ्लैट रेट योजना को सरकार तत्काल बहाल करे। 2020 में फ्लैटरेट योजना की समाप्ति तथा मीटर रीडिंग के आधार पर प्रतिपूर्ति योजना का प्राविधान बुनकरों के साथ धोखा है। मीटर रीडिंग आधारित प्रतिपूर्ति योजना से पावरलूम सेक्टर एवं बुनकरों को व्यापक आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही थी, आर्थिक मंदी एवं कोविड-19 के संकट के बाद यह बदहाली और बढ़ गयी है। जिसके कारण इस व्यवसाय से जुड़े हुए लाखों बुनकर एवं उनके परिवार भुखमरी के कगार पर पहुॅंच गये हैं। स्थिति इतनी भयावह है कि तमाम बुनकरों को अपना पावरलूम बेचकर, रिक्शा चलाकर अपने परिवार का जीवन यापन करना पड़ रहा है। इसके लिए पूर्व में बुनकरों ने शासन को पत्र लिखकर एवं विभिन्न अन्य माध्यम से अपनी मांगों से अवगत कराया था तथा शासन ने बुनकर प्रतिनिधियों से वार्ता कर फ्लैटरेट को बहाल करने का आश्वासन दिया था। किन्तु अभी तक उस आश्वासन को सरकार द्वारा पूरा नहीं किया गया है। जिससे मजबूर होकर आज उत्तर प्रदेश के बुनकरों ने वाराणसी, अम्बेडकर नगर आदि बुनकर उद्योग से जुड़े हुए समस्त जनपदों में आन्दोलन कर अपनी आवाज उठायी है। कंाग्रेस पार्टी बुनकरों की मांग का पुरजोर समर्थन करती है और उत्तर प्रदेश सरकार से यह मांग करती है कि मीटर रीडिंग आधारित बिजली बिल के बजाय पूर्व में लागू फ्लैट रेट योजना को बहाल किया जाये।
प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी आर्थिक मंदी के चलते व कोविड-19 के दौर में प्रदेश का वस्त्र उद्योग बिलकुल बन्द हो गया है। 18वीं सदी से 20वीं सदी तक विश्वभर में जिस भारतीय वस्त्र का जहाॅं 25 प्रतिशत निर्यात होता था अब वह घटकर 2 प्रतिशत रह गया है। इसका मुख्य कारण चीन द्वारा अपने वस्त्र उद्योग को भारी प्रोत्साहन देने के साथ-साथ हमारे देश-प्रदेश के वस्त्र उद्योग में चीन में निर्मित सस्ते व कम गुणवत्ता वाले वस्त्र और धागों ने घुसपैठ कर ली है। कम गुणवत्ता परन्तु सस्ते धागों से मुकाबला हमारे बुनकर और वस्त्र उद्योग नहीं कर पाये हैं। महंगे दामों पर बिजली उपलब्ध होने के कारण हमारा वस्त्र उद्योग धरासायी हो गया है।
प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि एक तरफ तो केन्द्र एवं प्रदेश सरकार व्यापक पैमाने पर चीन निर्मित उत्पादों के बहिष्कार एवं पूर्ण प्रतिबन्ध की घोषणा करती है किन्तु हकीकत में सरकार हमारे घरेलू कुटीर उद्योगों को संरक्षण देने के बजाय चीनी उत्पादों को संरक्षण देने की अघोषित नीति पर काम कर रही है। सरकार को इस दोहरे चरित्र से निकल कर अपने प्र्रदेश के गरीब और मजलूम बुनकर भाईयों के साथ खड़ा होना चाहिए और उन्हें संरक्षण देने का काम करना चाहिए।
प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी आर्थिक मंदी के चलते व कोविड-19 के दौर में प्रदेश का वस्त्र उद्योग बिलकुल बन्द हो गया है। 18वीं सदी से 20वीं सदी तक विश्वभर में जिस भारतीय वस्त्र का जहाॅं 25 प्रतिशत निर्यात होता था अब वह घटकर 2 प्रतिशत रह गया है। इसका मुख्य कारण चीन द्वारा अपने वस्त्र उद्योग को भारी प्रोत्साहन देने के साथ-साथ हमारे देश-प्रदेश के वस्त्र उद्योग में चीन में निर्मित सस्ते व कम गुणवत्ता वाले वस्त्र और धागों ने घुसपैठ कर ली है। कम गुणवत्ता परन्तु सस्ते धागों से मुकाबला हमारे बुनकर और वस्त्र उद्योग नहीं कर पाये हैं। महंगे दामों पर बिजली उपलब्ध होने के कारण हमारा वस्त्र उद्योग धरासायी हो गया है।
प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि एक तरफ तो केन्द्र एवं प्रदेश सरकार व्यापक पैमाने पर चीन निर्मित उत्पादों के बहिष्कार एवं पूर्ण प्रतिबन्ध की घोषणा करती है किन्तु हकीकत में सरकार हमारे घरेलू कुटीर उद्योगों को संरक्षण देने के बजाय चीनी उत्पादों को संरक्षण देने की अघोषित नीति पर काम कर रही है। सरकार को इस दोहरे चरित्र से निकल कर अपने प्र्रदेश के गरीब और मजलूम बुनकर भाईयों के साथ खड़ा होना चाहिए और उन्हें संरक्षण देने का काम करना चाहिए।
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